तमन्नाओं की महफिल
कौन गुज़रा है तमन्नाओं की महफ़िल के क़रीब
आज क्यों होती है रह रह के कसक दिल के क़रीब
राह्बर आप अगर हैं तो ख़ुदा खैर करे
कारवां ही कहीं लुट जाए न मंजिल के क़रीब
बच गए शोरिशे तूफां से मगर होश रहे
डूब जाते हैं सफीने कभी साहिल के क़रीब
डूबने से मुझे औरों ने बचाया तो सही
आप तो महवे तमाशा रहे साहिल के क़रीब
अहले दिल तल्खि़ये अंजाम पे रो देते हैं
मुस्कुराते हैं जहाँ फूल अनादिल के क़रीब
मुस्कुराया हूँ मैं हर एक परेशानी पर
हौसले और बढ़े जादए मुश्किल के क़रीब
जज़्बये इश्को़ वफ़ा आज उन्हें ले आया
पुरसिशे ग़म के लिए साहिर बिस्मिल के क़रीब
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